Ncert Class7 Scoial Science Chapter 2 नए राजा और उनके राज्य
Class7 Scoial Science Notes
- सातवीं शताब्दी के बाद कई राजवंशों का उदय हुआ। साथ ही इस शताब्दी तक उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में बड़े जि भू-स्वामी और योद्धा सरदार अस्तित्व में आ चुके थे।
- राजा लोग उन बड़े भू स्वामियों तथा योद्धा सरदारों को अपने मातहत या सामंत के रूप में मान्यता देते थे।
- सत्ता और संपदा हासिल करने पर सामंत स्वयं को महासामंत, महामंडलेश्वर इत्यादि घोषित कर देते थे।
- एक विशेष रूप से वांछनीय क्षेत्र था- गंगा घाटी में कन्नौज नगर। इस नगर पर अधिकार करने के लिए गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पाल वंश के शासक सदियों तक आपस में लड़ते रहे। चूँकि इस युद्ध में तीन पक्ष थे, इसलिए इतिहासकारों ने इसे ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ कहा।
- अफगानिस्तान के गजनी का प्रसिद्ध शासक महमूद गजनवी ने 997 से 1030 तक शासन किया। महमूद गजनवी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर को लूटा। इस संपन्न मंदिर से जो धन उठा ले गया उसका बहुत बड़ा हिस्सा गजनी में एक वैभवशाली राजधानी के निर्माण में खर्च हुआ।
- योद्धा राजाओं में चाहमान (चौहान) भी थे, इनका दिल्ली और अजमेर के आप-पास के क्षेत्रों पर शासन था। चौहानों का सबसे प्रसिद्ध शासक पृथ्वीराज तृतीय (1168-1192) था, जिसने सुलतान मुहम्मद गोरी नामक अफगान शासक को 1191 में हराया लेकिन 1192 में उसके हाथों हार गया।
- सबसे शक्तिशाली चोल शासक राजराज प्रथम (985 ई.) ने ज्यादातर क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित किया।
- चोल प्रशासन में किसानों की बस्तियों को ‘डर’ तथा गाँवों के समूह को ‘नाडु’ कहा जाता था।
हिरण्यगर्भ – (शाब्दिक अर्थ – सोने का गर्भ) एक प्रकार का याज्ञिक अनुष्ठान ।
त्रिभुवन-चक्रवर्तिन-तीन भुवनों के स्वामी (एक प्रकार की उपाधि) । बेट्टी- एक प्रकार का ‘कर’, जो नकद की बजाए जबरन श्रम के रूप में लिया जाता था।
कदमाई – भू-राजस्व से सम्बधित एक प्रकार का ‘कर’ । प्रशस्तियाँ- विद्वान ब्राह्मणों द्वारा राजा की प्रशंसा में लिखे गए अभिलेख ।
उर– किसानों की बस्तियाँ।
नाडु – गाँवों के समूह को नाडु कहा जाता था। मुर्वेदवेलन- तीन राजाओं को अपनी सेवाएँ प्रदान करने
वाल वेलन या किसान। (यह एक प्रकार की उपाधि है।)
अरइयार – चोल प्रशासन द्वारा दी जाने वाली एक उपाधि ।
वेल्लनवगाई – गैर-ब्राह्मण किसान स्वामी की भूमि ।
ब्रह्मदेय -ब्राह्मणों को उपहार में दी गई भूमि ।
शालाभोग-किसी विद्यालय के रख-रखाव के लिए भूमि पल्लिच्चंदम– जैन संस्थानों को दान दी गई भूमि ।
महत्त्वपूर्ण तिथियाँ
985 ई. – राजराज प्रथम राजा बना, जिसे सबसे शक्तिशाली चोल शासक माना जाता है।
997-1030 ई. तक – सुल्तान महमूद ने अफगास्तिान पर शासन किया।
1191 ई. – पृथ्वीराज चौहान ने सुल्तान मुहम्मद गोरी को हराया।
1192 ई. – पृथ्वीराज चौहान को सुलतान मुहम्मद
गोरी ने पराजित किया।
पाठ्यपुस्तक अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. जोड़े बनाओ:
गुर्जर-प्रतिहार – पश्चिमी दक्कन
राष्ट्रकूट। – बंगाल
पाल – गुजरात और राजस्थान
चोल – तमिलनाडु
उत्तर–
गुर्जर प्रतिहार – गुजरात और राजस्थान
राष्ट्रकूट – पश्चिमी दक्कन
पाल – बंगाल
चोल – तमिलनाडु
प्रश्न 2. ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ में लगे तीनों पक्ष कौन-कौन से थे ?
उत्तर– गंगा घाटी में स्थित कन्नौज नगर पर नियंत्रण को लेकर तीन राजवंशों में सदियों तक संघर्ष चलते रहे, जो निम्नलिखित हैं-
(i) गुर्जर-प्रतिहार, (ii) राष्ट्रकूट, (ii) पाल।
प्रश्न 3. चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्तें क्या थीं ?
उत्तर– उत्तरमेरुर से प्राप्त अभिलेखों के अनुसार, चोल साम्राज्य में सभा की समिति का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक थीं
(1) सभा की सदस्यता के लिए इच्छुक लोगों को ऐसी भूमि का स्वामी होना चाहिए जहाँ से भू-राजस्व वसूला जाता है।
(2) उनके पास अपना घर होना चाहिए।
(3) सभा की सदस्यता के लिए इच्छुक व्यक्ति की उम्र 35 से 70 के बीच होनी चाहिए।
(4) उन्हें वेदों का ज्ञान होना चाहिए।
(5) उन्हें प्रशासनिक मामलों की अच्छी जानकारी होनी
चाहिए और ईमानदार होना चाहिए।
(6) यदि कोई पिछले तीन सालों में किसी समिति का सदस्य रहा है तो वह किसी और समिति का सदस्य नहीं
बन सकता।
(7) जिसने अपने या अपने संबंधियों के खाते जमा नहीं
कराए हैं, वह चुनाव नहीं लड़ सकता।
प्रश्न 4. चाहमानों के नियंत्रण में आने वाले दो प्रमुख नगर कौन-से थे ?
उत्तर – चाहमानों के नियंत्रण में आने वाले दो प्रमुख नगर दिल्ली और अजमेर थे। इसके अतिरिक्त कन्नौज, प्रयाग आदि नगर भी इनके नियंत्रण में थे।