NCERT Solutions for Class 12th Bhasawati Sanskrit Chapter 5 सूक्ति-सौरभम् Hindi Translation & English Translation
इस पोस्ट में हमने Sanskrit Class 12th Chapter 5 सूक्ति-सौरभम् हिंदी अनुवाद में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Bhaswati Sanskrit Class 12th Chapter 5 सूक्ति-सौरभम् Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 12th Sanskrit Chapter 5 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
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स्वायत्तमेकान्तगुणं विधात्रा विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः । विशेषतः सर्वविदां समाजे विभूषणं मौनमपण्डितानाम्॥1॥
हिंदी अनुवाद:- स्वायत्त एवं एकान्त गुण विधाता द्वारा निर्मित अज्ञान का आवरण है। विशेषकर सर्वज्ञों के समाज में मौन अज्ञानियों का आभूषण है।
रूपं प्रसिद्धं न बुधास्तदाहु- विद्यावतां वस्तुत एव रूपम्। अपेक्षया रूपवतां हि विद्या मानं लभन्तेऽतितरां जगत्याम् ॥2॥
हिंदी अनुवाद:- रूप ठीक से ज्ञात नहीं है और बुद्धिमान लोग कहते हैं कि यह वास्तव में ज्ञानी का ही रूप है। क्योंकि सुन्दर मनुष्यों की तुलना में ज्ञान जगत में सर्वोच्च सम्मान पाता है।
न दुर्जनः सज्जनतामुपैति शठः सहस्त्रैरपि शिक्ष्यमाणः । चिरं निमग्नोऽपि सुधा – समुद्रे न मन्दरो मार्दवमभ्युपैति ॥3॥
हिंदी अनुवाद:- एक दुष्ट व्यक्ति हजारों धोखेबाजों द्वारा सिखाए जाने पर भी पुण्य प्राप्त नहीं करता है बहुत समय तक अमृत के सागर में डूबे रहने के बाद भी मंदार वृक्ष अपनी कोमलता को प्राप्त नहीं कर पाता
कर्णामृतं सूक्तिरसं विमुच्य दोषेषु यत्नः सुमहान् खलानाम् । निरीक्षते केलिवनं प्रविश्य क्रमेलकः कण्टकजालमेव ||4||
हिंदी अनुवाद:- कान वचनों के रस के स्वाद से मुक्त हो जाते हैं और दुष्टों का प्रयत्न उनके दोषों में बहुत बड़ा होता है। वह केलीवन को क्रामेलका और कांटों के जाल में प्रवेश करते हुए देखता है
उत्साह – सम्पन्नमदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेष्वसक्तम् । शूरं कृतज्ञं दृढसौहृदञ्च लक्ष्मीः स्वयं याति निवासहेतोः ॥5॥
हिंदी अनुवाद:- वह उत्साह से भरपूर है, कोई लंबी डोर नहीं है, कर्म के तरीकों को जानता है और व्यसनों से जुड़ा नहीं है। भाग्य की देवी स्वयं एक बहादुर व्यक्ति के पास जाती है जो उसके निवास के लिए आभारी और एक मजबूत दोस्त है।
दीर्घप्रयासेन कृतं हि वस्तु निमेषमात्रेण भजेद् विनाशम् । कर्तुं कुलालस्य तु वर्षमेकं भेत्तुं हि दण्डस्य मुहुर्तमात्रम्।।
हिंदी अनुवाद:- लंबे प्रयास से किया गया कोई भी कार्य एक क्षण में नष्ट हो सकता है। एक कुम्हार को एक छड़ तोड़ने में एक वर्ष लग जाता है
आरभेत हि कर्माणि श्रान्तः श्रान्तः पुनः पुनः । कर्माण्यारभमाणं हि पुरुषं श्रीर्निषेवते ॥7 ॥
हिंदी अनुवाद:- जब वह थक जाता है और थक जाता है तो वह बार-बार अपना काम शुरू कर देता है। भाग्य की देवी उस व्यक्ति की सेवा करती है जो अपनी गतिविधियाँ शुरू करता है।
एकेनापि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना । आह्लादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी ॥8॥
हिंदी अनुवाद:- यहां तक कि एक अच्छा बेटा, ज्ञान से संपन्न एक संत, पूरा परिवार रात को चंद्रमा को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ।
गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणः बली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बलः । पिको वसन्तस्य गुणं न वायसः करी च सिंहस्य बलं न मूषकः ॥9॥
हिंदी अनुवाद:- गुणवान गुण को जानता है और नहीं जानता, गुणहीन व्यक्ति ताकत को जानता है और निर्बल उसे नहीं जानता। मोर वसंत का गुण नहीं है, न कौआ, न करी, न शेर और न ही चूहे की ताकत
अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम् । भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषापहम् ॥10॥
हिंदी अनुवाद:- पानी बदहजमी की दवा और बदहजमी में ताकत है। भोजन के समय अमृत और भोजन के अंत में जल विषनाशक होता है।
अनेकसंशयोच्छेदि परोक्षार्थस्य दर्शकम् । सर्वस्य लोचनं शास्त्रं यस्य नास्त्यन्ध एव सः ॥11॥
हिंदी अनुवाद:- यह अप्रत्यक्ष अर्थ का दर्शक है जो कई संदेहों को दूर करता है। जिसके पास सबकी आंखों के समान कोई धर्मग्रंथ नहीं है, वह अंधा है।
अल्पज्ञ एव पुरुषः प्रलपत्यजस्त्रं पाण्डित्यसम्भृतमतिस्तु मितप्रभाषी । कांस्यं यथा हि कुरुतेऽतितरां निनाद तद्वत् सुवर्णमिह नैव करोति नादम् ॥12॥
हिंदी अनुवाद:- अल्पज्ञानी मनुष्य बिना हथियार के बोलता है, परन्तु उसका मन बुद्धि से भरा होता है और उसकी वाणी नम्र होती है। जिस प्रकार कांसे की आवाज बहुत तेज होती है, उसी प्रकार इस संसार में सोना भी बहुत तेज आवाज नहीं करता।
अभ्यास प्रश्न
- एकपदेन उत्तरत-
(क) कः कण्टकजालं पश्यति?
उत्तर क्रमेलकः ।
(ख) शर्वरी केन भाति ?
उत्तर चन्द्रेण ।
(ग) क: गुणं वेत्ति ?
उत्तर गुणी ।
(घ) अजीर्णे किं भेषजम् अस्ति ?
उत्तर वारि ।
(ङ) सर्वस्य लोचनं किम् अस्ति ?
उत्तर शास्त्रम्।
(च) कः निरन्तरं प्रलपति ?
उत्तर अल्पज्ञः ।
- पूर्णवाक्येन उत्तरत-
(क) केषां समाजे अपण्डितानां मौनं विभूषणम् ?
उत्तर सर्वविदां समाजे अपण्डितानां मौनं विभूषणम् ।
(ख) के सर्वलोकस्य दासाः सन्ति?
उत्तर आशायाः दासाः सर्वलोकस्य दासाः सन्ति।
(ग) केन कुलं विभाति ?
उत्तर सुपुत्रेण कुलं विभाति।
(घ) सिंहः केन विभाति ?
उत्तर सिंहः बलेन विभाति ।
(ङ) भोजनान्ते किं विषम् ?
उत्तर भोजनान्ते वारि विषम् ।
- रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) विधात्रा अज्ञतायाः छादनं विनिर्मितम्।
उत्तर केन अज्ञतायाः छादनं विनिर्मितम् ?
(ख) विद्यावतां विद्या एवं रूपम् अस्ति।
उत्तर केषाम् विद्या एव रूपम् अस्ति?
(ग) लक्ष्मीः शूरं प्राप्नोति ।
उत्तर का शूरं प्राप्नोति?
(घ) बली बल वेत्ति।
उत्तर बली किं वेति?
(ङ) शास्त्र परोक्षार्थस्य दर्शकम् अस्ति ।
उत्तर शास्त्रं कस्य दर्शकम् अस्ति?
(च) कांस्यम् अतितरां निनादं करोति ।
उत्तर किम् अतितरां निनादं करोति?
- उचितपदैः सह रिक्तस्थानानि पूरयत।
(क) ये आशायाः दासाः ते सर्वलोकस्य दासाः(भवन्ति)। येषाम् आशा दासा (भवति) – तेषां सर्वं दासायते। ल्यप्।
(ख). एकेन अपि विद्यायुक्तेन साधुना सुपुत्रेण सर्व कुलम् आह्लादितं यथा चन्द्रेण शर्वरी ।
(ख). एकेन अपि विद्यायुक्तेन साधुना सुपुत्रेण सर्व कुलम् आह्लादितं यथा चन्द्रेण शर्वरी ।
(ग) लक्ष्मीः उत्साहसम्पन्नम् अदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेषु असक्तम् शूरम् कृतज्ञम् दृढसौहृदम् च निवासहेतोः स्वयं याति ।
प्रश्न 5. प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत
(क) कृतम् = कृ+क्त।
(ख) प्रविश्य= प्र+विश्+क्त।
(ग) विमुच्य = वि+मुच्+ल्यप्।
(घ) भेत्तुम् = भिद्+ तुमुन्।
(ड़) कर्तुम् = कृ+तुमुन्।
प्रश्न 6. पर्यायवाचिभिः सह मेलनं कुरुत यथा-स्वायत्तम् स्वाधीनम्
उत्तर
(क) विमुच्य – परित्यज्य
(ख) क्रमेलकः – उष्ट्रः
(ग) याति – गच्छति ।
(घ) कुलालस्य – कुम्भकारस्य
(ड) शर्वरी – रात्रिः
(च) वेत्ति – जानाति
(छ) करी – गजः
(ज) अजस्रम् -निरन्तरम्
(झ) प्रलपति – कथयति
(ञ) मुहूर्तमात्रम् – क्षणमात्रम्
प्रश्न 7. विलोमपदैः सह योजयत यथा-स्वायत्तम् पराधीनम्.
उत्तर-
(क) अज्ञतायाः – विद्वत्तायाः .
(ख) अपण्डितानाम् – पंण्डितानाम्
(ग) बुधा: – मूर्खाः
(घ) मानम् – अपमानम्
(ड) खलानाम् – सज्जनानाम्
(च) याति – आयाति ।
(छ) कृतज्ञम् – अकृतज्ञम्
(ज) आशायाः – निराशायाः
(झ) आसक्तम् – अनासक्तम्
(ञ) कृतम् – अकृतम्
(ट) जीर्णे – अजीर्णे
प्रश्न 8. विशेषणं विशेष्येण सह योजयत
उत्तर
(क) एकन- सुपत्रण
(ख) अज्पज्ञः – पुरुषः
(ग) सर्वम् – कुलम्
(घ) एकम् – लोकम्
(ड) सुमहान् –
प्रश्न 9. कः केन विभाति ।
उत्तर:
(क) गुणी – गुणेन
(ख) शर्वरी – चन्द्रेण
(ग) विद्वान् – विद्यया
(घ) सिंहः – बलेन
(ड) कुलम् – सुपुत्रेण
प्रश्न 10.अधोलिखितानि पदानि उचितरूपेण संयोज्य वाक्यानि रचयत
उत्तर
- विधात्रा छादनं विनिर्मितम् ।
- लक्ष्मीः शूरं पश्यति।
- मौनम् सर्वविदाम् भूषणम् अस्ति।
- शर्वरी शोभते ।