NCERT Solutions for Class 12th Bhasawati Sanskrit Chapter 7 हल्दीघाटी Hindi Translation & Questions Answers
इस पोस्ट में हमने Sanskrit Class 12th Chapter 7 हल्दीघाटी हिंदी अनुवाद में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Bhaswati Sanskrit Class 12th Chapter 7 हल्दीघाटी Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 12th Sanskrit Chapter 7 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 12 All Subjects Solution |
2. | Class 12 Hindi Solutions |

स्वाधीनताऽऽभुवि मूर्तिमती समाना
राणाप्रताप बलवीर्यविभासमाना।
आटीकते समुपमा नहि या सुशोचिः
शाटीव सा जयति काचन हल्दिघाटी ॥1॥
हिंदी अनुवाद:- साड़ी की तरह चमकदार, महाराणा प्रताप के बल एवं पराक्रम से सुशोभित स्वाधीनता की साक्षात् मूर्ति है, जिसके समान कोई अन्य उपमान नहीं ऐसी आर्यावर्त में स्थित हल्दीघाटी भूमि की जय हो । ।
English Translation:- Shining like a saree, adorned with the strength and bravery of Maharana Pratap, it is the embodiment of independence, like which there is no other example. Hail to the land of Haldighati located in Aryavarta. ,
प्राची यदा हसति हे प्रिय ! मन्दमन्दं
वायुर्यदा वहति नन्दनजं मरन्दम्।
या प्रत्यहं किल तदा मतिमाननीयां
शोभां दधात्युपसि काञ्चनकाञ्चनीयाम् ॥2॥
हिन्दी अनुवाद:- हे प्रिय ! जब पूर्व दिशा धीरे-धीरे हँसती है, जब वायु नन्दन में उत्पन्न पराग को वहन करती है उस समय के विद्वानों के द्वारा सम्मानित रोजाना उषाकाल में वह हल्दीघाटी स्वर्णिम शोभा को धारण करती हुई प्रतीत होती है।
English Translation:- Oh dear! When the east laughs softly, when the wind carries the pollen produced in Nandan, that Haldighati appears to be wearing golden splendor in the daily dawn, revered by the scholars of that time.
मा कातराः ! स्पृशत मां प्रिय पारतन्त्र्याः !
अद्यापि यन्न विहिता जननी स्वतन्त्रा ।
यत्रेदमेव गदतीव ततिस्तरुणां
शाखाकदम्ब कृत- मर्मरमातनोति
हिन्दी अनुवाद:- – पराधीनता से प्रेम करने वालो हे कायरो! मुझे मत स्पर्श क्योंकि अब भी तुम मातृभूमि को स्वतन्त्र नहीं करवा पाए हो जहाँ वृक्षों की पंक्तियाँ इसी बात को कहती हुई अपनी वृक्षशाखाओं की मर्मर ध्वनि को फैला रही हैं।
English Translation:- O Cairo, you who love subjugation! Don’t touch me because even now you have not been able to free the motherland where the rows of trees are spreading the marble sound of their tree branches saying the same thing.
वीराग्रणीरभव-युद्धकलाकलापः
क्वाऽस्तेऽद्य हा! स तनयः सनयः प्रतापी ।
अत्रत्य निर्जनवनेऽथ यदा कदाचिद्
मातेव रोदिति सखे! कुररी नु काचित् ॥4॥
हिन्दी अनुवाद:- बड़े ही दुःख की बात है कि आज भी वीरों में श्रेष्ठ युद्धकलाओं में निपुण, नीतियुक्त, प्रतापी वह पुत्र कहाँ है? हे मित्र! इस घने वन में जब क्रौञ्ची रोती होगी, तो लगता है कि अपने वीर पुत्र महाराणा प्रताप को स्मरण कर भारतमाता रो रही है।
English Translation:- It is a matter of great sorrow that even today, where is that son, the best of the heroes, the most skilled in the arts of war, the most moral, the most glorious? O friend! When the crocodile cries in this dense forest, it seems that Mother India is crying remembering her brave son Maharana Pratap.
पुष्पं फलं तदनु गन्धवहः समीर:
खद्योत पंक्तिरमला च पिकालि-गीतिः ।
अद्यापि यंत्र सरल-प्रकृति-प्रणीतं
पञ्चोपचारमिव पूजनमस्ति मातुः ॥5॥
हिन्दी अनुवाद :- आज भी इस प्रकृति से निर्मित पुष्प, फल, सुगन्धित वायु, निर्मल जुगनु की पंक्ति तथा कोयलों के गीतों इन पाँचों को मिलकर मानों भारतमाता का पूजन करते हैं।
English Translation:- Even today, the flowers, fruits, fragrant air, rows of pure fireflies and songs of cuckoos all worship Mother India together.
नीलेन पक्ष निवहेन खमाहसन्तः
चञ्चुवा फलानि विमलानि समञ्चयन्तः ।
‘श्रीराम’ नाम मधुरं मधुरं क्वणन्तः
अद्यापि यत्र सुशुका विलसन्ति सन्तः ॥6॥
हिन्दी अनुवाद:- आज भी नीले पंख समूह से आकाश का उपहास करते हुए चोंच से निर्मल फलों को चमकाते हुए, श्रीराम के नाम का मधुर-मधुर शब्द की आवाज करते हुए सुन्दर तोतों की तरह महापुरुष सुशोभित होते हैं।
English Translation:- Even today, great men are adorned like beautiful parrots, mocking the sky with their blue wings, shining pure fruits with their beaks, and making the sweet sound of the name of Sri Rama.
यत्र प्रताप नृपतेः प्रकट-प्रतापा
एकाऽपि हन्त! शतधाऽभवदस्त्र-धारा ।
युद्धेऽधिकोशमपि शत्रुवधे क्रमेण
ज्योत्स्ना तमः सहचरी चपलेति चित्रम् ॥7॥
हिन्दी अनुवाद:- बड़ा दुःख है कि यहाँ राजा महाराणा प्रताप के तेज को प्रकट करने वाली कृपाण की ज्योत्स्ना क्रम से अन्धकार के साथ चलने वाली (तलवार) विद्युत बन गई यह विचित्र बात है।
English Translation:- It is a great pity that here the light of the sword, which revealed the splendor of King Maharana Pratap, gradually became lightning (sword) that goes with darkness. It is a strange thing.
सैषा स्थली चकित- चेतकचङ्क्रमाणां
सैषा स्थली कुटिलकुन्तपराक्रमाणाम् ।
सैषा स्थली प्रियतमाऽप्यसुतोऽमराणां
सैषा स्थली भयकरी नर पामराणाम् ॥8॥
हिन्दी अनुवाद:- यह चेतक की अद्भुत भ्रमण-स्थली है, यह कुटिल भाले की पराक्रम-स्थली है, यह देवताओं की प्राणों से बढ़कर प्रियतम स्थली है और यही नीच- प्राणियों को भयभीत करने वाली स्थली है। हल्दीघाटी की जय हो।
English Translation:- This is the wonderful place of wanderings of Chetaka, this is the place of the might of the crooked spear, this is the place dearer to the gods than their lives and this is the place that frightens the lowly creatures. Hail to Haldighati.
वीक्ष्य प्रभाहसित – चारु- पुरन्दराणां
सङ्गस नृत्यममलं शिखिसुन्दराणाम्
सम्भासते वरभुवः सुषमात्युदार:
हर्षाङ्कितो हरितहीरक – कण्ठहारः ॥9॥
हिन्दी अनुवाद:- श्रेष्ठ भूमि की शोभा से अत्यन्त उदार और हर्ष से युक्त, हरे रंग के हीरे का कण्ठाहार वाली, अपनी प्रभा से सुन्दर इन्द्र को उपहसित करने वाली तथा मनोहारी मयूरों के निर्मल नृत्य के साथ वह सुशोभित होती है।
English Translation:- She is very generous and joyful with the beauty of the best land, with a necklace of green diamonds, mocking the beautiful Indra with her radiance and adorned with the pure dance of the beautiful peacocks.
पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्न
- एकपदेन उत्तरं ददत
(क) आर्यभुवि शाटीतः का विराजते ?
उत्तर हल्दीघाटी ।
(ख) उषसि हल्दीघाटी कीदृशीं शोभां दधाति ?
उत्तर काञ्चनकाञ्चनीयाम्।
(ग) सनयः तनयः कः अस्ति ?
उत्तर प्रतापः ।
(घ) के नीलेन पक्षेण खम् आहसन्ति?
उत्तर सुशुकाः।
(ङ) वरभुव: सुषमा कथं सम्भासते ?
उत्तर अत्युदारा ।
(च) तमः सहचरी का कथिता?
उत्तर विद्युत्।
(छ) प्रतापनृपतेः अस्त्रधारा कतिधा अभवत्?
उत्तर शतधा ।
- पूर्णवाक्येन उत्तरत-
(क) मूर्त्तिमती हल्दीघाटी कथम् आटीकते?
उत्तर मूर्तिमती हल्दीघाटी शाटीव आटीकते ।
(ख) कदा हल्दीघाटी मतिमाननीयां शोभां दधाति ?
उत्तर हल्दीघाटी मतिमाननीयां शोभाम् उषसि दधाति ।
(ग) पिकालिगीतिः किमिव मातुः पूजनं करोति ?
उत्तर पिकालिगीतिः पञ्चोपचारमिव मातुः पूजनं करोति ।
(घ) कथं क्वणन्तः सुशुकाः विलसन्ति?
उत्तर ‘श्रीराम’ नाम मधुरं क्वणन्तः सुशुकाः विलसन्ति ।
(ङ) हल्दीघाटी केषां स्थली अस्ति?
उत्तर हल्दीघाटी चकितचेतकचक्रमाणां, कटिलकन्तपराक्रमाणाम. अमराणां प्रियतमा नरपामराणां भयकरी स्थली चास्ति ।
(च) वरभुवः अत्युदारा सुषमा कीदृशी भासते?
उत्तर वरभुवः अत्युदारा सुषमा हर्षाङ्कितः भासते।
(छ) प्रकृतिः केषां पञ्चपदार्थानामुपचारेण पूजनं करोति ?
उत्तर प्रकृतिः पुष्पं, फलं, गन्धवहः समीरः, अमला खद्योतपंक्तिः, पिकालिगीतिः च इति पञ्चपदार्थानामुपचारेण पूजनं करोति ।
- अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानि आधृत्य
(क) मूर्तिमती हल्दीघाटी जयति ।
उत्तर का हल्दीघाटी जयति?
(ख) या उषसि शोभां दधाति ।
उत्तर या कदा शोभां दधाति?
(ग) तरूणां ततिः कदम्बकृतमर्मरम् आतनोति
उत्तर केषां ततिः कम् आतनोति?
(घ) निर्जनवने कुररी मातेव रोदिति ।
उत्तर निर्जनवने का मातेव रोदिति?
(ङ) मातुः पञ्चोपचारं पूजनं करोति ।
उत्तर कस्याः पञ्चोपचार पूजनं करोति?
(च) अस्त्रधारा शतधा अभवत्।
उत्तर अस्रधारा कतिधा अभवत् ?
(छ) असुतः अपि प्रियतमा स्थली ।
उत्तर कस्मात् अपि प्रियतमा स्थल ?
- अधोलिखितपदेषु सन्धिं सन्धिच्छेदं वा कुरुत-
(क) स्वाधीनतार्यभुवि = स्वाधीनता + आर्यभुवि ।
(ख) दधाति + उषसि = उषसि = दधात्युषसि ।
(ग) ततिस्तरूणाम् = ततिः + तरूणाम् ।
(घ) निजर्नवने अथ = निजर्नवने+अथ
(ङ) सुशुका विलसन्ति = सुशुकाः + विलसन्ति।
(च) तदनु = तत् + अनु।
5.अधोलिखितपदेषु प्रकृति प्रत्ययं च पृथक् कुरुत प्रकृतिः प्रत्ययः
(क) ततिः = तन् धातु + क्तितन्
(ख) भासमाना = भास्+शानच्
(ग) विहिता = वि+धा+क्त
(घ) प्रतापी = प्र+तप्+णिनि
(ङ) हसन्तः = हस्+शतृ
(च) शिखी = शिखा+इनि
(छ) प्रणीतम् = प्र+नि+क्त
6.अधः प्रदत्तं श्लोकं मञ्जूषाप्रदत्तपदैः रिक्तस्थानानि पूरयित्वा पुनः लिखत”
प्राची यदा हसति हे प्रिय ! मन्दमन्दं वायुर्यदा वहति नन्दनजं मरन्दम्। या प्रत्यहं किल तदा मतिमाननीयां शोभां दधत्युषसि काञ्चनकाञ्चनीयाम् ।।
7.विशेषणानि विशेष्याणि च योजयित्वा पुनः लिखत विशेषणानि – विशेष्याणि
उत्तर
(क) सुशोचिः – शाटी
(ख) पारतन्त्र्याः कातराः
(ग) प्रतापी – तनयः
(घ) क्वणन्तः – सुशुकाः
(ङ) शतधा अस्रधारा
(च) नीलेन – पक्षनिवहेन
(छ) अमला – खद्योतपंक्तिः
8.अधोलिखितानां पदानां व्याकरणनुसारं पदपरिचयः
दीयताम्
(क) स्वाधीनता = स्वाधीन शब्द + तल प्रत्यय + टाप्
(ख) माननीया =’मान् + अनीयर् प्रत्यय + टाप्
(ग) सन्तः = अस् धातु + शतृ प्रत्यय, पु. प्रथमा वि.
बहुवचन।
(घ) तमः = तमस् शब्द, नपुं. प्रथमा विः एकवचन ।
(ङ) सम्भासते = सम् उप + भास् धातु, आत्मनेपदी, लट् लकार, प्रथम पुरुष एकवचन ।
(च) स्थली = स्थल शब्द + ङीष् प्रत्यय ।
(छ) माता = मा धातु + तृच् प्रत्यय, प्रथमा वि.एकवचन ।
9.हल्दीघाटीयद्धस्य ऐतिहासिक परिचयः हिन्दी/ आंग्ल / संस्कृतभाषया देयः ।
हिन्दी अनुवाद – हल्दीघाटी का युद्ध 1576 में मुगल – सम्राट अकबर तथा राजपूत शासक महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी नामक स्थान पर हुआ। महाराणा प्रताप के अतिरिक्त सभी राजपूत शासकों ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली थी केवल महाराणा प्रताप ने मुगलों से लोहा लिया।
प्रताप ने हिन्दू संस्कृति को बचाने के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने बाकि राजपूत शासकों की तरह मुगलों से न तो मैत्री समबन्ध स्थापित किए और न ही वैवाहिक सम्बन्धों को बढ़ावा दिया। अकबर ने अपने दूतों के द्वारा महाराणा प्रताप से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाने की कोशिशें की लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। अतः अकबर ने मुगल साम्राज्य को बढ़ाने तथा महाराणा प्रताप ने हिन्दू संस्कृति को बचाने के लिए युद्ध किए। महाराणा प्रताप ने वीरता से युद्ध में संघर्ष किया किन्तु अन्त में वह हार गया।
10.महाराणाप्रतापस्य स्वातन्त्र्यसङ्घर्ष हिन्दी / आंग्ल / संस्कृतभाषया वर्णयत।
हिन्दी – अनुवाद – महाराणा प्रताप का जन्म एक राजपूत शासक के घर हुआ। बचपन से ही वे युद्ध- प्रेमी तथा हिन्दू संस्कृति के प्रबल पोषक थे। उनकी शिक्षा-दीक्षा भी ऐसे ही माहौल में हुई । वे बचपन से ही तलवार तथा भाले चलाने में निपुण थे। उनको घुड़सवारी का बड़ा शौक था। बाद में वे ऐसे राजपूत शासक के रूप में उभरे जिन्होंने मुगल शासकों से लोहा लिया।