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Reading: ल्यप् प्रत्यय || ल्यप् प्रत्यय के उदाहरण, lyap pratyay
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Sanskrit Dhara Vahini > Sanskrit Vyakaran > ल्यप् प्रत्यय || ल्यप् प्रत्यय के उदाहरण, lyap pratyay
Sanskrit Vyakaran

ल्यप् प्रत्यय || ल्यप् प्रत्यय के उदाहरण, lyap pratyay

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ल्यप् प्रत्यय : ल्यप् प्रत्यय – परिभाषा, उदाहरण || lyap pratyay in Sanskrit

ल्यप् प्रत्यय-जब क्रिया (धातु) से पूर्व कोई उपसर्ग जुड़ा होता है तो वहाँ ‘क्त्वा’ प्रत्यय के स्थान पर ‘ल्यप्‘ प्रत्यय जोड़ा जाता है। ‘ल्यप्’ प्रत्यय भी ‘कर’ या ‘करके’ ‘कर अर्थ में ही होता है। ‘ल्यप्’ प्रत्यय में से ‘ल्’ तथा ‘प्’ का लोप हो जाने पर केवल ‘य’ शेष रहता है।

Contents
ल्यप् प्रत्यय : ल्यप् प्रत्यय – परिभाषा, उदाहरण || lyap pratyay in Sanskrit lyap pratyay के उदाहरण

इस ल्यप् प्रत्यय से बनने वाला नया शब्द अव्यय शब्द होता है। 

  1. .”ल्यप्” का “य” शेष रहता है। ल् और प् लोप हो जाता हैं।
  2. इस अव्यय का भूतकाल में ही प्रयोग होता है ।
  3. इन प्रत्यय का भी अर्थ “करके” होता है।
  4. इस प्रत्यय का वाक्य में इसका प्रयोग भी प्रथम और गौण क्रिया के साथ ही होता है ।
  5. यह प्रत्यय भी दो वाक्यों को जोडने का काम करता है।
  6. इस प्रत्यय का केवल एक ही परिस्थिति में प्रयोग होता है, जो महत्त्वपूर्ण है, और वह यह है कि जब धातु से पूर्व कोई उपसर्ग आ जाए तो “क्त्वा” के स्थान पर इसका (ल्यप्) प्रयोग होता है ।

क्त्वा का प्रयोगः-जब हम हस् धातु के साथ क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग करते हैं तो रुप हसित्वा बनता है, अब इसी प्रकार हस् धातु से पूर्व “वि” उपसर्ग लाते हैं तो रुप”विहस्य” बनेगा।

ल्यप् प्रत्यय
Lyap pratyay

Lyap pratyay (ल्यप् प्रत्यय) को समझने की शोर्ट Formula

ल्यप् प्रत्यय/lyap pratyay in Sanskrit

  • लोप् = ल् और प् का
  • शेष = यह
  • अर्थ = कर या करके के रुप में
  • पहचान = धातु से पूर्व में उपसर्ग और अन्त में य।
  • यह भूतकाल में होता है।
  • इससे बनने वाले शब्द अव्यय होता है।

lyap pratyay के उदाहरण

उपसर्गधातु+प्रत्यय ल्यप् युक्त रुप
आगम्+ल्यप्आगम्य
विजि+ल्यप्विजित्य
आदा+ल्यप्आदाय
आनी+ल्यप्आनीय
सम्पठ्+ल्यप्संपठ्य
सम्प्रच्छ्+ल्यप्संपृच्छ्य
सम्रक्ष्+ल्यप्संरक्ष्य
विस्मृ+ल्यप्विस्मृत्य
सम्चित्+ल्यप्संचित्य
सम्घ्रा+ल्यप्समाघ्राय
प्रतिज्ञा+ल्यप्प्रतिज्ञाय
सम्तृ+ल्यप्संतीर्य
प्रभंज्+ल्यप्प्रभज्य
अनुवद्+ल्यप्अनुद्य
प्रबुध्+ल्यप्प्रबुध्य
नीपा+ल्यप्निपाय
विलप्+ल्यप्विलप्य
विलिख्+ल्यप्विलिख्य
उप्लभ्+ल्यप्उपलभ्य
निपत्+ल्यप्निपत्य
प्रआप्+ल्यप्प्राप्य
सम्आप्+ल्यप्समाप्य
अनुकृ+ल्यप्अनुकृत्य
विक्री+ल्यप्विक्रीय
निक्षिप्+ल्यप्निक्षिप्य
विगण्+ल्यप्विगण्य
विहस्+ल्यप्विहस्य
उप्स्पृश्+ल्यप्उपस्पृश्य
उप्स्था+ल्यप्उत्थाय
विसृज्+ल्यप्विसृज्य
विज्ञा+ल्यप्विज्ञाय
अधिई+ल्यप्अधीत्य
निर्ईक्ष्य+ल्यप् परीक्ष्य
सम्दृश्+ल्यप्संदृश्य
विधा+ल्यप्विधाय
प्रनत्+ल्यप्प्रणत्य
आनी+ल्यप्आनीय
आदा+ल्यप्आदाय
अनुग्रह्+ल्यप्अनुगृह्य

संस्कृत के अन्य प्रत्यय

  • क्त्वा प्रत्यय
  • तुमुन् प्रत्यय
  • शतृ प्रत्यय
  • शानच् प्रत्यय
  • तव्यत् प्रत्यय
  • अनीयर् प्रत्यय
  • तमप् प्रत्यय
  • तरप् प्रत्यय

इन्हें भी देखें

  • पठ् धातु रुप
  • लिख् धातु रुप
  • भू (भव्) धातु रुप
  • गम् धातु रुप
  • नी धातु रुप
  • हस् धातु के रुप
  • वद् धातु रूप
  • चल् धातु के रुप
  • शक् धातु के रुप
  • याच् के धातु रुप

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